लोगों की राय

ई-पुस्तकें >> वीर बालिकाएँ

वीर बालिकाएँ

हनुमानप्रसाद पोद्दार

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :70
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9732
आईएसबीएन :9781613012840

Like this Hindi book 7 पाठकों को प्रिय

152 पाठक हैं

साहसी बालिकाओँ की प्रेरणात्मक कथाएँ


वीर बालिकाएँ

वीर हम्मीर-माता

चित्तौड़ के महाराणा लक्ष्मणसिंह के सबसे बड़े कुमार अरिसिंह जी शिकार के लिये निकले थे। एक जंगली सूअर के पीछे अपने साथियों के साथ घोड़ा दौड़ाये वे चले जा रहे थे। सूअर इन लोगों के भय से एक बाजरे के खेत में घुस गया। उस खेत की रक्षा एक बालिका कर रही थी। वह मचान से उतरी और खेत के बाहर आकर घोड़ों के सामने खड़ी हो गयी। बड़ी नम्रता से उसने कहा- 'राजकुमार! आपलोग मेरे खेत में घोड़ों को ले जायँगे तो मेरी खेती नष्ट हो जायेगी। आप यहाँ रुकें, मैं सूअर को मारकर ला देती हूँ।'

राजकुमार को लगा कि यह लड़की खाली हाथ भला सूअर को कैसे मार सकेगी। वे कुतूहलवश खड़े हो गये, पर उन्हें यह देखकर बड़ा आश्वर्य हुआ कि उस लड़की ने बाजरे के एक पेड़ को उखाड़कर तेज किया और खेत में निर्भय घुस गयी। थोड़ी ही देर में उसने सूअर को मारकर राजकुमार के सामने लाकर रख दिया। वहाँ से राजकुमार अपने पड़ाव पर आये। जब वे लोग स्नान कर रहे थे, तब एक पत्थर आकर उनके एक घोडे के पैर में लगा, जिससे घोड़े का एक पैर टूट गया। वह पत्थर उसी की लड़की ने अपने मचान पर से पक्षियों को उड़ाने के लिये फेंका था। राजकुमार के घोड़े की दशा देख वह अपने खेत से दौड़कर वहाँ आयी और असावधानी से पत्थर फेंका गया इसके लिये क्षमा माँगने लगी।

राजकुमार बोले- 'तुम्हारी शक्ति देरवकर मैं आश्चर्य में पड़ गया हूँ। मुझे दुःख है कि तुम्हें देने योग्य कोई पुरस्कार इस समय मेरे पास नहीं है।’

उस लड़कीने कहा- 'अपनी गरीब प्रजा पर आप कृपा रखें, यही मेरे लिये बहुत बड़ा पुरस्कार है।' इतना कहकर उस समय वह चली गयी। सायंकाल राजकुमार तथा उनके साथी घोड़ों पर बैठे जा रहे थे। तब उन्होंने देखा कि वही लड़की सिर पर दूध की मटकी रखे दोनों हाथों से दो भैंसों की रस्सियाँ पकड़े जा रही है। राजकुमार के एक साथी ने विनोद करने के लिये धक्का देकर उसकी मटकी गिरा देनी चाही, पर जैसे ही उसने घोड़ा बढ़ाया; उस लड़की ने उसका इरादा समझ लिया। उसने अपने हाथ में पकड़ी भैंस की रस्सी को इस प्रकार फेंका कि उस रस्सी में उस सवार के घोड़े का पैर उलझ गया। घोडे के साथ ही वह सवार भी धड़ाम से भूमि पर गिर पड़ा।

इस निर्भय बालिका के साहस और शक्ति को देखकर कुमार अरिसिंह मुग्ध हो गये। उन्होंने पता लगाकर जान लिया कि वह क्षत्रिय-कन्या है। स्वयं अरिसिंह ने उसके पिता के पास जाकर उसके विवाह की इच्छा प्रकट की। इस प्रकार अपने पराक्रम के प्रभाव से वह बालिका एक दिन चित्तौड़ की महारानी हुई। प्रसिद्ध राणा हम्मीर ने उसी के गर्भ से जन्म लिया था।

* * *

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai